आज बारीश थोड़ी रुकी है, नुकसान तो हो ही गया,अब कोई क्या कर सकता है,किसान ऊपर वाले को तो नहीं रोक सकता,छत्तीसगढ़ी में कहावत है-खेती अपन सेती,ठीक ही कहा है,जो स्वयम कर सकता है वही तो खेती करेगा,बाकी लोग तो मजदूरो का इंतजार ही कर सकते है,मजदुर तो पहले अपने खेत का कम करके ही दुसरे के यहाँ जाएगा,रोजगार गारंटी में छोटे मंझोले किसानो को ध्यान में क्यों नहीं रखा गया,योजना अच्छी है,पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था का ध्यान नहीं रखा गया है,आज देश के किसानो के सामने एक प्रमुख समस्या खेतिहर मजदूरो की कमी है,.....
क्रमश :..............
शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010
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