गुरुवार, 10 जुलाई 2008

किसान के मितान कौन ?

किसान भारत में अब भी अपनी वह दर्जा नही पा सके जो उन्हें मिलना चाहिए , लोग सिर्फ़ अपनी स्वार्थ व्यवसायिक हितों के लिए किसान की बात करते है , यदि कभी किसानी काम के लिए बिजली ब्याज या अन्य छूट की बात होती है तब हाहाकार मच जाता है लेकिन किसी ने सोचा है की उद्योग स्थापना के लिए सरकार क्या क्या छूट देती है जमीन से लेकर बिजली ब्याज सभी में सरकार छूट देती है लेकिन कोई उसमे आवाज नही उठता, बिजली के लिए सरकार उद्योग को प्राथमिकता देती है खेतीके लिए नही । आख़िर क्यो ?

शनिवार, 5 जुलाई 2008

छत्तीसगढ़ में खाद संकट :किसान तरसे खाद के लिए

छत्तीसगढ़ में खाद की आपूर्ति नियमित नही होने से किसानो को एक एक बोरी खाद के लिए भटकना पड़ रहा है ,एन पी के,डी ऐ पी ,पोटास कोई भी खाद आसानी से नही मिल रहा सुपर फास्फेट के लिए भी किसान खूब भटके लेकिन उसकी भी कमी बनी रही,सहकारी सोसैटीयोमें कोई भी खाद समय पर नही मिल रहा है, किसानो की इस समस्या को कोई गम्भीरता से उठा भी नही रहा है ,वैसे भी किसान गत वर्षो की तुलना में कम वर्षा होने से परेशां है ऊपर से खाद के लिए भटकना पड़ रहा है ।

शुक्रवार, 4 जुलाई 2008

ट्रेक्टर लोन में पिसते किसान

खेती किसानी में मजदूरो का आभाव एक सोचनीय समस्या बन गई है ,वैसे ही आजकल खेती के उपकरण बनाने वाली कम्पनियों की बाढ़ आ गई है खासकर ट्रेक्टर कम्पनिया ग्राहकों को लुभाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही इनके सेल्समेन कमीशन के लोभ में किसी को भी ट्रेक्टर पकड़ा देते है बाद में बेचारे किसान कर्ज के बोझ तले दब जाते है और ब्याज की राशिः भी पटाना मुश्किल हो जाता है, बैंको फायनेंस कंपनियों द्वारा भी किसानो को लोभ देकर बिना मर्जीं मणी जमा किए पुरी राशिः लोन में दे देती है जबकि किसान की माली हालत अच्छी नही होती ,जिसका अंत जमीन की बिक्री नीलामी कुर्की में होता है ।