मंगलवार, 11 नवंबर 2008

चुनाव में वादे :क्या है फायदे

चुनाव आयी,नेता जी ,राजनितिक दलों के नेता को कुर्सी की चिंता सताई,फिर क्या है वायदों आश्वासनों की बारीश होने लगती है,मालूम है जीत जायेंगे तब देखा जाएगा ,अभी तो किसी तरह कुर्सी मिल जाए ,भले ही पिछले किए वादे अभी पुरा न हुआ हो लेकिन फिर से नए वायदों की झडिया लग जाती है,कोई जुता चप्पल बाटने की ,कोई गाय बटने की,कोई ऋण माफी की, कोई कम के घंटो में कमी की, कोई १ रु तो कोई २ रु में चावल देने की घोषणा कर रहे,छत्तीसगढ़ में धान की खेती होती है बहुसंख्यक परिवार खेती किसानी से जुड़े है छोटे हो या बड़े किसान खाने लायक धान की फसल ले ही लेते है यहाँ पर किसानो को फसल की अधिक दाम की आवश्यकता है दलहन तिलहन की खेती व्यवसायिक फसलो की खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता है ,पशुपालन,कुक्कुट उद्योग की आवश्यकता है,सहकारी समितियों को मजबूत किए जाने की आवश्यकता है ,किसानो की ऋण सीमा में वृध्दि इ आवश्यकता है,जमीनों की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने की योजना की आवश्यकता है,सिंचाई के साधनों की आवश्यकता है,......पर हमारे राजनितिक दल १ रु २ रु में चावल बेचकर क्या संदेश दे रहे है ,क्यो नही यहाँ की लोकप्रिय धान की किस्मों जैसे नगरी दुबराज,जैसे प्रजाति को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनने की कोशिश करते, क्या हमारे राजनितिक दल यहाँ की कृषि को पूंजीपतियों के हाथो बेचना चाहती है और चाहती है की लोग १रु ३ रु की चावल लेकर खाए,लोगो के जीवन स्तर सुधरने के बजे क्यो उन्हें गरीब बनने पर तुली है राजनितिक पार्टी? अब तो इन लोगो ने ऋण माफ़ी कर कर के मेहनती किसान जो समय पर अपने ऋण राशिः भुगतान करते है को क्यो सजा दे रहे है उनकी सुध क्यो नही लेते ,उन्हें कोई प्रत्साहन राशिः छुट का लाभ क्यो नही देते ,उन्होंने समय पर भुगतान करके क्या गलती की थी ?

2 टिप्‍पणियां:

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " ने कहा…

मूल दोष भी जानलें,तब होगा समाधान.
व्यक्ति ठीक हों तो भी नहीं,चलने देगा विधान.
चलने देगा विधान,कहाँ है भारत उसमें.
इन्डिया दैट इज भारत, शुरुवात है उसमें.
कह साधक इन्डिया बढ रहाशीघ्र जानलें.
संविधान ही भूल, मूल दोष है जानलें.

cg4bhadas.com ने कहा…

bahut badhiya dost sahi kah rahe hai aap